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मोटर, टांगा, गाडी वगैरह सब मिलती हैं। कोरटाजी में यात्रियों को किसी तरह की तकलीफ नहीं पडती । यात्रियों के योग्य सरसामान का प्रबन्ध कोरटाजी जैन संघ के तरफ से किया जाता है।
इस प्राचीनतम तीर्थ को सर्वत्र प्रसिद्ध करने और इसके प्राचीन अर्वाचीन हालातों को जानने के लिये यह ऐतिहासिक पुस्तक जोधपुर रियासत के गाँव नोवी वाले श्रीमान् श्राद्धवर्य ,मावत शा० सांकलचन्द किसनाजी और जवानमल रखबदास,, हजारीमल, जोराजीने प्रकाशित की है, अतएव अन्त में उनको इस तीर्थसेवा के लिये हार्दिक धन्यवाद दिया जाता है। ॐ शान्तिः शान्तिः!!शान्तिः!!! वि० सं० १९८७ )
चैत्र शुदि ५
मुनियतीन्द्रविजय ।
शुद्धयशुद्धिपत्रम्
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पंक्ति
अशुद्ध त्रलोक्य (वि० सं० ५७५) उसवंश
त्रैलोक्य (वि. सं. ५९५) ३१ उएसवंश
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पार
और
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