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________________ (१०६ ) साल छीयासी अतिमलो, कृष्णपक्ष रवीवार जी । तिथी एकादशी सोहती, भेट्या कोरंटे सुसार जी ।। ता०७॥ __ माता मोरादेवीना नंद० ए राहमैं तोरे दरपे आयोजी, शिवपुरवासी स्वामी तेरो दर्शन पायो जी । मैं तोरे० ॥ टेर ॥ कोरटामंडन छो दुखकंदन, भयभंजन भगवान । शांत मूर्ति प्रभु तारी निरखी, हुओ मन गुलतान ॥ मैं०१॥ धनुष पांचसौ सोवनकाया; उज्ज्वल तेज अपार । विनीतानगरीनो तुं राजा, नाभीनन्द कुमार ॥ मैं ॥२॥ मारुदेवी कुंखे हो जाया, नाभीराय कुलचंद । दर्शन तेरा पुन्ये पायो, काटो भवना फंद . ॥ मैं० ॥३॥ माथे मुकुट काने कुंडल, झलहल शोभा सार । बाहे बाजुबंद रत्नजडित छे, अंगी अजब अपार ॥ मैं॥४॥ सर्वदेवमा देव तुं सांचो, पडचा पूरण हार । और देवने नवि हुं जाचुं, आयो तुम दरबार ॥ मैं ॥५॥ विभु वरदाता जुग विख्याता, सांचो सिद्ध स्वरूप । शीतल शशिसम मुखनी कांति, चिदानंद अनूप ॥मैं ॥६॥ सूरिविजयराजेन्द्र पसाये, जय जयकार वरताय । यतीन्द्रमुनिनो चरणोपासक, नेमचंद गुण गाय ॥ मैं०॥७॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034926
Book TitleKortaji Tirth ka Itihas Sachitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay
PublisherSankalchand Kisnaji
Publication Year1930
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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