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________________ (१०२) हीडानी राहमादिजिनन्द प्रभु अरजी लीजे, शिवरमणी सुख दीजे रे। शुभ नजर करी साहिब मुजने, दरिसण वेगा दीजे रे १ साहिब प्यारो रे, साहिब प्यारो मुजने तारो, भवजल पार उतारो रे साहिब० ॥ टेर ।। पांचे आठे मुजने पीड्यो, नरक निगोद नचायो रे। काल अनंता कुमति संगे, जनम मरण दुख पायो रे सा० २ मोहरायनो मंत्री मलियो, चोर संघाते भलियो रे। तृष्णा तरुणी आणी मेली, कामकीचड माहे रलियोरे सा०३ तेर वावीस तेंतीसे टाली, सत्तावन छटकाया रे । दस चोरासी दूर करीने, नाभीनंदन ध्याया रे ॥ सा०॥॥ कोरटा नगर में ऋषभजिनेश्वर, भेट्या मन शुध भावे रे । सूरिविजयराजेन्द्र कृपाथी, प्रमोदरुचि दिल ध्यावे रे ॥सा०५ मादीश्वर अवतारी जिनवर, कोरटाधिप जयकारी रे । सातिशय जिन मुद्रा दरसित, भावरोग अपहारी रे ॥१॥ भवदुखहारी रे, भवदुखहारी शिवसुखकारी, जीवजीवन आधारी रे. भवदुखहा०॥ टेर ॥ सिद्धाचल आबू के मंडन, अद्भुत महिमा धारी रे । सुर नर किन्नर वासुदेवा, करते सेवा तुम्हारी रे ॥ भ०॥२॥ करुणावत्सल ! करुणा कीजे, दीजे पद अणहारी रे । नाथ निरंजन शरणे राखो, सेवक भजे गुजारी रे ॥भ०॥३॥ www.umaragyanbhandar.com Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
SR No.034926
Book TitleKortaji Tirth ka Itihas Sachitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay
PublisherSankalchand Kisnaji
Publication Year1930
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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