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________________ (७०) सवान-उमरी. अजुवात अपनी नोटबुकमें दर्जकिये, वहांसे वापिस कायमगंज आये, और तीर्थ शौरीपुरकी जियारतकेलिये जानेकों रैलपर सवारहुवे, और सिकोहाबाद देशनपर उतरे, वहांसे शौरीपुरतीर्थ खुश्कीरास्ते करीब सातकोसके फासलेपर जमनाकनारे मौजूदहै, जोकि-जमानेहालमे बटेश्वरकेनामसे मशहूरहै, वहांजाकर तीर्थ शौरीपुरकी जियारतकिइ और उसकी तवारिख अपनीनोटबुकमें दर्ज किइ, शौरीपुरसे वापिस सिकोहाबाद आये और सिकोहाबादसे रैलमे सवारहोकर इलाहाबादगये, यहांका पुरानाकिला देखा, जो गंगा-जमनाके-संगमपर बनाहुवाहै, इलाहाबादसे रैलमे सवारहो. कर कौशांबी नगरीकी जियारतकों गये, भरवारी टेशन उतरकर कौशांबी तीर्थकेलिये रवानाहुवे रास्तेमें एक-हिरन-हिंसक लोगोसे छुडवाया, और उनको धर्मोपदेशदिया, भरवारी देशनसे कौशांबी-सातकोशके फासलेपरवाके है, और आजकल इसकों को. संबपाली बोलते है, तीर्थकर पदमप्रभुकी जन्मभूमि यहीशहरहै, आ. जकल-यहां-न-कोइजैनश्वेतांबरमंदिरहै-न-श्रावकहै, सीर्फ ! उस जगहकी कदमघोसीकरके वापिस भरवारीटेशन आये, और रैलमे सवारहोकर कानपुर-लखनउके टेशनहोते अयोध्याकों गये, और वहांकी दोबारा जियारत किइ. अयोध्यासें सरयूनदीका पुल पारकरके टेशन लकडा मंडीपर गये, और रैलमें सवार होकर बलरामपुर टेशन उतरे, बलरामपुरसे सातकोसके फासलेपर सावथ्थी नगरी जिसकों आजकल फिला-सहेटमेट-बोलतेहै गये, यहांपर आजकल कोइ जैनश्वेतांबर श्रावक नही, सीर्फ ! एक मंदिर बनाहुवा खाली पडाहै, वहांकी जियारत किइ, और तवारिख सावध्थीकी अपनी नोटबुकमें दर्जकिइ, सावथ्थीके रास्तेमें कइ-नयपालीलोग-मिले, और उनसे धर्मकी बातेहुइ, सावथ्थीसे बलराम Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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