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( ४१४) गुलदस्ते-जराफत. लाकर खडी कर दिइ, मालिकने देखा विना घोडेकी गाडी सामने रखी हुइ है, नौकरसे कहने लगे इसमें घोडे क्यों नही लगाये, नौ. करने जवाब दिया हुजुरने सिर्फ ! गाडी लानेके हुकम दियाथा, घोडोंके लिये तो कुछ नही कहाथा, मालिकने कहा अछा तुंही खींच और लेचल, नौकर शर्मिंदा हुवा, और घोडे लाकर गाडीमें जोत दिये, मालिकने कहा, अब घोडे क्यों लगाये, ? क्या! तुजे खेचनी पडतीथी इस लिये, ? नौकरीके दाम लेता है खोटे रुपयेतो हर्गिज ! नही लेता,
५९-[दरियावकी सफर,] किसी आदमीने एक-शख्शकों पुछाकि-आपने दरियावकी सफरतो बहुत किइ है, बतलाइये ! आपने उसमे नादीर चीन क्या देखी ? उसने जवाब दिया नादीर चीज दरियावमें वही देखीकिमें-सहीसलामत कनारे आ पहुचा, अगर बीच दरियावके गर्क हो जाता तो वहां मुजे कौन बचा सकता था ? ६०-[बादशाहका सवाल और अकलमंदका जवाब,]
एक वख्तका जिक्र है बादशाहने अपने शहरमें मशहूर कर दियाकि-में-एक सवाल पुछुगा, जो कोइ माकुल जवाब देगा, य. हुत कुछ इनाम पायगा, इस वातकों सुनकर एक हाजिर जवाब आदमी बादशाहके सामने गया, और अर्ज किइकि-हुजुर ! सवाल करे, में-उसका माकुल जवाब दूंगा, बादशाहने पुछा, बतला ! मेरे हाथपर बाल क्यों नहीं, ? उसने जवाब दिया, आप आपने हाथोंसें खूब खेरात करते है, इस लिये बाल नही, फिर बादशाहने पुछा तेरे हाथपर बाल क्यों नही, ? उसने जवाब दिया, रुपये पैसे लेते लेते मेरे हाथके बाल घीस गये, बादशाहने कहा, बताओ!
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