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________________ mmmmmmmmmmmmmm गुलदस्ते-जराफत. कौनबना, ?-मशकरा सुनकर शर्मीदा हुवा, साधुमहाराजसे माफी मांगने लगा, साधुमहाराजने कहा यहभी तेरी तकदीरमें लिखाथाकि-पहले गुनाह-करना और फिर माफी मांगना, ४१-[ बापके साथ बेटेकी बेअदबी] एकशेठने अपनेलडकेक नसीहत दिइकि-बापके सामने बोलनानही, जब तुजको नसीहत दिजाती है,-तु-सौचतानहीं, और बेअदबीका जवाब दियाकरताहै, बडीभूलहै, दुसरेरौन शेठ कहीं जरुरी कामकेलिये बहारगयेथे, और जब वापिस घरआये मकानमें लडका अकेला किवाडबंदकरके बेठाहुवाथा, शेठने उसको बहुत पुकारा मगर लडकेने जवाब नहीदिया, आजुबाजुके लोग इकठे होगये और इस माजरेको देखकर कहनेलगे लडकातो भीतर बेठाहुवाहै, आप छतपरसे होकर अंदर जाइये, गरजकि-शेठने-वैसाही किया, भीतर आनकर देखातो लडका वेठाहै, वापनेकहा क्यौं ! रे ! ! तेने इतनीअवाजे सुनकरभी जवाब नहीदिया, सबब क्याहै,? लडकेने कहा, कलही-तो-आपने फरमायाथाकि-वालिदके सामने बोलना नही. सो-मेने-ऐसाही किया, वालिदने खफाहोकर कहा, क्या ! तुं !! नीरा मूर्खहै ? जो कहे कुछ और समझता है कुछ, ? इसका मतलब यहहुवाकि-बडोंके सामने गुस्ताखी करना महेज नादानी है, ४२-[एक वजीरकी उमदा तकरीर ] एक राजासाहब जंगलकी तर्फ नंगेपांव शैरकरनेके लिये गये, रास्तेमें एककांटा उनके पांवमें चुबगया, उनोने सौचा ! मेरेपांवमें कांटा चुबा दुसरोके पांवमेंभी चुवता होगा, इसलिये लाजिमहै अपनी सरहदमें जितनी जमीनहै चमडेसे मढादेना चाहिये ताकि Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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