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________________ बयान-विरान-और-नामांतरहोगयेहुवे-तीर्थोका. ( ३५३ ) होतेहुवे-विकटोरियाटर्मिनस (बोरीबंदर) टेशन आवे, रैलकिराया पांचआने लगेगा, ___ बंबइकी तवारिख पेस्तर इसकिताबमें दर्जकिइहुइहै, चुनाचे, इसकिताबकी इब्तिदा-और-इंतिहा-बंबइशहरहै, हमने बंबइसे सफरका लेख लिखना शुरुकियाथा, असनाये राहमें जोजोशहर और जैनतीर्थ आतेगये उनकावयान लिखतेहुवे यहांतक आगयेजहांतक बना जैनशास्त्रोसे-इतिहासिक किताबोसे-और-अपनीनजरसे देखाभाला इसमें दर्जकियाहै,____ एडनमें जैनश्वेतांबर श्रावकोकी आबादी और मंदिर बनाहुवाहै, हिंदुस्थानके कइ जैनश्वेतांबर श्रावक वास्ते रोजगारके वहांजाकर बसेहुवे है, मुल्क आफ्रिकाके पूरवकनारेपर जंगबारटापुमें जैनश्वेतांबर श्रावकोके घर करीब (४०) और एक जैनश्वेताबरमंदिर मौजूदहै, दालगोवाबंदरमें जैनश्वेतांवर श्रावकोके घर करीब (१५) और एक छोटासा चैत्यालय बनाहुवाहै, लींडीबंदरमें-और-मुंबासाबदरमेंभी इसीतरह छोटासा चैत्यालय और करीब पनरावीस श्रावकोके घर आबादहै, अगर कोइ जानाचाहेतो-बंबइसें-बजरीये टीमरके जासकते है,[ अब उनउन जैनतीर्थोंका बयान बतलायाजाता है जोजमाने हालमे विरान-या-नामातर होगये है, ] १-चुनाचे-नजदीक अयोध्याके पुरीमताल-शाखानगरमें-तीथैकर आदिनाथमहाराजके नामका एक जैन तीर्थथा, जमानेहालमें नेस्तनाबुद होगया, २-तक्षशिलानगरी-जोकि-हिंदुस्थानके बहारवारथी बाहुबल विनिर्मित धर्मचक्रनामका वहां एक जैन तीर्थ था Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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