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________________ तवारिख-तीर्थ-समेतशिखर. ( २९१ ) ... अठारहमीठोंक-तीर्थकर सुमतिनाथजीकी-इसमें-तीर्थकर सुमतिनाथमहाराजके चरन तख्तनशीनहै. और उसपरलिखाहै संवत् (१८२५) माघशुक्ल (३) गुरौं बिरानीगोत्रीय शाह खूशालचंद्रेण श्रीसुमतिनाथ जिनचरणपादुका कारापिता प्रतिष्टिताच मर्वमूरिभिः तपागछेश्रीरस्तु उनीसमीटोंक तीर्थकर-शांतिनाथजीकी-इसमें-तीर्थकर शांतिनाथमहाराजके चरन तख्तनशीनहै, और उसपर लिखाहै संवत् (१८२५) में-विरानी गोत्रीय-शाह-खुशालचंदजीने इनको तामीर करवाये,-- बीसमीटोंक-तीर्थकर-महावीरस्वामीकी-इसमें-तीर्थकर-महावीरस्वामीके-चरन--तख्तनशीनहै. और उसपर लिखाहै संवत् (१९२४) में इसकी मरम्मत रायबहादूर धनपतसिंहजी साकीन मुर्शिदाबादने करवाइ, तीर्थकरमहावीरस्वामी-पावापुरीमें-मुक्तहुवे, मगर यहां उनके चरन इसलियेतामीरकरवायेगयेकि-यात्रीलोकयहांभी-उनकीजियारत हांसीलकरशके. - एकीसमीटोंक-तीर्थकर-सुपार्श्वनाथजीकी-इसमें-तीर्थकर-सुपार्श्वनाथमहाराजके चरन तख्तनशीनहै, और उसपरलिखाहै संवत् ( १८२५) माघशुक्ल (३) गुरौ बिरानीगोत्रीय शाह खूशालचंद्रेण श्रीसुपार्श्वनाथजिनचरणपादूका कारापिता प्रतिष्टिता च सर्वसूरिभिः तपागछेश्रीरस्तु, .... बाइसमीटोंक-तीर्थकर विमलनाथजीकी-इसमें-तीर्थकर-विमलनाथजीके चरन तख्तनशीनहै, और उसपरलिखाहै संवत् ( १८२५ ) में विरानीगोत्रीय-शाह-खुशालचंदजीने इनकों वानीर.करवाये,- ... ....... ... ... . . . . . . . . Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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