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(१७६ ) बयान-शहर-देहली. ( १८९१ ) की-मर्दुमशुमारीमें अलवरकी मर्दुमशुमारी-(५२३५८) मनुष्योंकी-थी, अलवरशहर पहाडके नीचेकी सतहपर बसाहुवाहै, राजमहेल उमदा-बाजार गुलजार-और अनाजका व्यापार यहां ज्यादहहै, टेशन और शहरकेबीच कंपनीबाग-काबिल देखनेको जगहहै, अलवरमें जैनश्वेतांबर श्रावकोकी आवादी-और-मंदिर मौ. जूदहै, दर्शनकरके-वापिस टेशनपर आवे-और-देहलीके लियेरवाना होवे,-टेशन अलवरसे परिसाल-खेरस्थल-हरशौली-अजेर:का-बावल-रेवाडी-खलीलपुर--जाटौली-पाटली-गढीहरसरू-गुडगांव-पालम-और-सरायरोहिला-होतेहुवे देहली जावे,-रैलकिराया सवारूपया लगताहै, कमीबेंसी होगयाहो-तो-टाइमटेबलमें देखलेना,
0 (बयान-शहर-देहली,) . रैवाडीसे ( ५२ ) और गुडगांवसे (२०) मील-पूर्वोत्तर जमनाके पश्चिमकनारे देहली एकमशहूर और मारूफ शहरहै,-महा राज पृथवीराज चौहानके वख्त इसकीरवन्त्रक बहुतथी, और कस्बे मेहरोलीतक जहांकि-कुतुबकी लाटवनीहुइहै आबादथा.-महाराजपृथवीराजने जो अपनी अहदमें किला तामीर करवायाथाअवतक उसकेनिशानात अतराफ देहलीके पायेजाते है,-पृथवीराज • चौहानके जमानेतक हिंदुस्थानमें स्वंयवर विवाह होताथा. औरलडाइके वख्त क्षत्रीयलोग शंवजातेथे, बेशुमार दौलत-और-बडेबडे इकबाल मंद लोगथे, बहुत अर्सेतक देहलीके तख्तपर क्षत्रीयराजे सलतनते करते रहे, वाद-मुसल्मानोंकी सलतनत जारी हुइ और कहबादशाहोंने अमल्दारीकिइ. सन (१६४०) इस्वीमेंदेहलीके तख्तपर शाहजहांबादशाह अमल्दारी करताथा, लालकिला जो-जमना कनारे अबमौजूदहै बहुत दौलतसर्फ करके नववर्षमें
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