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(६८) ४. यह कांगड़ा तीर्थ भाइयो उत्तम और निराला है,
आंधी वर्षा और भूचालों ने मंदिर को पाला है, प्रकाशविजय, शील श्री ने मिल कर संघ निकाला है, मृगा श्री की अमृत रूपी वाणी किया उजाला है, विमल कहे अब बोलो मिल कर जय आदी भगवान की......
(विमल जैन)
बटाला
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