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(६६ ) त्याग तपस्या के बल से तू ब्रह्म रूप दिखलाया सत्य अहिंसा की ज्योति से भारत को चमकाया शिल्पकला और तत्त्वज्ञान को तू ने ही सिखलाया
'नाहर' के सब दुखड़े टारे मैं बलिहारे जय हो आदीश्वर भगवान हमारे, सभी पुकारें जय हो
श्री कांगड़ा-तीर्थ ध्वजारोहण आज कांगड़ा की चोटी पर ध्वज अपना लहराना है
यह तीरथ है याद पुरानी, प्रेम के फूल चढ़ाना है १. युवको जागो उठो बढ़ो और शूरवीर बन दिखला दो बहिनों तुम वीरांगना बन कर जाति को फिर चमका दो
तुम्हारे ही उत्साह से हम ने फिर गौरव पाना है
आज कांगड़ा की चोटी पर ध्वज अपना लहराना है २. दादा आदिनाथ हमारे तीनलोक के स्वामो हैं अहो! काल के हेरफेर से कुटिया के विश्रामो हैं
इनकी शोभा में हम ने इक सुन्दर महल सजाना है
आज कांगड़ा की चीटी पर ध्वज अपना लहराना है ३. माता अम्बे ! कहाँ छिपी हो, वैभव अपना दिखला दो सत्य अहिंसा की ज्योति को फिर से जग में फैला दो
दादा नेमिनाथ की हम ने जयजयकार बुलाना है
आज कांगड़ा की चोटी पर ध्वज अपना लहराना है ४. वर देवें चौबीस जिनेश्वर, पार्श्वनाथ की दृष्टि हो महावीर के पुण्य तेज की तीन लोक में वृष्टि हो
विजयानन्द गुरु वल्लभ की जय का नाद बजाना है
आज कांगड़ा की चोटी पर ध्वज अपना लहराना है Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com