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८. सत्गुर ने उपदेश सुनाया, सुनके राजा अति हर्षाया
जयजयकार बुलाना जी......कांगड़े . बी० एल० शुद्ध मन से जो ध्याये, भवसागर से वह तर जाये
मुक्ति का फल पाना जी......कांगड़े
तर्ज-सिद्धाचल के वासी तुम को लाखों प्रणाम आदीश्वर भगवान ! तुम को लाखों प्रणाम, तुमको कोटि प्रणाम
___कोट कांगड़ा वाले तुम को लाखों प्रणाम ........... १. नाभी के तुम नन्द प्यारे, मोरांदेवी माता के दुलारे
तुम हो दया निधान, तुम को लाखों प्रणाम..... २. कोट कांगड़े दे वित्र मन्दिर, जिस विच प्रतिमा तेरी सुन्दर
महिमा बड़ी महान......तुम को......... ३. दूर दूर से यात्री आवन, रल मिल गीत तेरे ही गावन
जय जयकार बुलान.......तुम को......... ४. भक्तां दी रख लाज प्रभु जो, पूरण कर दे काज प्रनु जो
मंग्गे जो वरदान......तुम को......... ५. जाप तेरा जो निशदिन करदे, भवसागर से पार उतरदे
मुक्ति दा फल पान, तुम का........ ६. दर तेरे जो आया सवाली, बी० एल कदे न जाए खाली
झोलियां भरदे जान, तुम को........
(३) नैय्या मेरी लगा दे किनारे प्रभु श्राया, आया मैं तेरे द्वारे प्रभु
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