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जैन शासन में भगवान् श्री नेमिनाथ की अधिष्ठायक शासन देवी मानी जाती है। किले के स्मारकों की कुछ जानकारी का वर्णन हो चुका अब भगवान् आदिनाथ की वर्तमान मूत्ति के सम्बन्ध में एक अद्भुत घटना का वर्णन किया जाता है।
मूत्ति का चमत्कार-सन् १९५३ को बात है कि हम लोग प्रभु पूजन करके वापिस जाने लगे थे कि मेरी किले में काम करने वाले कुछ मिस्त्री लोगों से इस तीर्थ सम्बन्धी बातें चल पड़ीं। बातों बातों में मिस्त्री लोग कहने लगे कि यह मूर्ति बड़ी प्रभाविक और चमत्कारी है। बड़ा मिस्त्री बोला कि सन् १९३२ को बात है कि कुछ मुसलमान युवक किले के मन्दिरों की मूर्तियों को तोड़ने की भावना से किले में दाखिल हुए । ऊपर जाकर उन्होंने पहिले अम्बिकादेवी की मूर्ति को तोड़ डाला और उसके खण्डों को नदी में कहीं फैंक दिया फिर वह भगवान् श्री
आदिनाथ की इस मूर्ति को तोड़ने की भावना से इस मन्दिर में • दाखिल हुए। एक युवक ने इस मूर्ति पर पूरे जोर से ठोकर लगाई।
प्रहार होने की देर थी कि मूर्ति के पेट में से बड़ी भयानक धू धू करती ध्वनि छूट पड़ी जिसे सुनते ही वह लोग भयभीत होकर वहाँ से भाग खड़े हुए । कांगड़ा नगर की हिन्दु जनता को यह समाचार मिला तो उन्हें अम्बिकादेवी की मूर्ति को तोड़ने और भगवान् श्रादिनाथ (मान्य पार्श्वनाथ) की मूर्ति को ठोकर लगाए जाने से बड़ा दुःख हुआ। उन्होंने इस सम्बंध में अपना रोष प्रकट करने के लिये एक खुली सभा माननीय राजा साहिब लम्बाग्राम की अध्यक्षता में बुलाई और एक प्रस्ताव पास करके सरकार से विनती की कि अपराधियों को गरिफ़्तार करके उन्हें कड़ा दण्ड दिया जाये । इस सम्बन्ध में सरकार
ने दो मुसलमान युवकों को गरिफ्तार किया, न्यायालय में उन के विरुद्ध Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com