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उपयोग कर सारांश तीर्थोद्धार के लिए तथा अब तक किए गए कार्य को रिपोर्ट, भावी कार्यक्रम की रूपरेखा आदि देकर उन्होंने पुस्तक को और भी उपयोगी बना दिया है। साथ ही यह यात्रियों के लिए एक पथ प्रदर्शक या Guide का भी काम देगी।
मैं उन के इस महान् परिश्रम का स्वागत करता हूँ। मुझे विश्वास है कि सभी भाई बहिन इसे मनन पूर्वक पढ़ेंगे। साथ ही इतिहासज्ञ अधिक अनुसंधान की ओर प्रेरित होंगे। भारत सरकार ने "Kulu & Kangra' नामक यात्री-पथ-प्रदर्शक पुस्तिका में स्वीकार भी किया है कि यह घाटी ब्राह्मण, जैन व बौद्ध धर्म सम्बन्धी प्राचीन अवशेषों से समृद्ध है।" परन्तु यह निश्चित है कि जैन पुरातत्व को खोज अभी बाकी है। समाज को इस ओर ध्यान देना चाहिए ।
अम्बाला शहर ४-३-१९५६
पृथ्वीराज जैन एम० ए० शास्त्री प्रोफेसर श्री आत्मानन्द जैन कालेज
अम्बाला व संयुक्त मन्त्री श्री प्रा० जैन महासभा
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