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सुलतान महम्मद. ] जिन-प्रासाद केवी रीते कराव्यो ? [ ९७
आपवी छे ज; परंतु कहो के-ते बन्धुनुं नाम शुं छे ? अने ते क्यां वसे छे ? ' हेमादिए कह्यु के-' राजन् ! अवंती (माळवा )नो अलंकार, धर्मकर्ममां कुशल पृथ्वीधर (पेथड) नामनो जीभथी मानेलो म्हारो बंधु छे. माळवामां जयसिंह नामना राजा बिंबमात्र छे छत्र अने चामरोथी रहित होवा छतां पण पृथ्वीधर( पेथड ) ज पति( राजा) छे, ते प्रातःकाले प्रभु( आप महाराजा )ने प्रणाम करवा माटे आवे त्यारे स्नेहथी घरे आवेल मालवराजने योग्य एवा सर्व गौरखने योग्य छे.' ___ राजाए( रामदेवे ) ए अवधारण करी हृदयमां निश्चय कर्यो. हेमादिए हर्षित थइ पेथडशाहने सूचित कर्यु. बीजे दिवसे माळवाना मंत्री पेथडशाह, राजसभामां राजाने मळवा आव्या त्यारे थाळमां सोनानी महोरो उपर श्रीफळ( नाळीएर )नी भेट धरी, समीप आवतां राजा( रामदेव ) जल्दीथी ऊभा थइ हर्षथी तेने भेट्या.
राजाए पेथडशाहने योग्य आसन पर बेसारी, स्वागतादि पूछी, नाळिएर ग्रहण करी भेटणुं पार्छ आप्यु. प्रधानने पहेरामणी करी राजा पृथ्वीना दान माटे घणा परिवार साथे घोडा पर बेसीने नगरीमां गया. चौटानी अंदरनी पृथ्वीनी प्रार्थना थतां राजाए ते आपी, ब्राह्मणो दून थवा छतां पण दोरी
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