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________________ ८२]. [जवाहर-किरणावली धरते । अतएव उनके द्वारा निर्णीत पथ ही मंगलकारी होता है। किसी महानदी को पार करना कठिन होता है, बड़े-बड़े बलवान् तैराक भी पार नहीं कर पाते । परन्तु पुल बन जाने पर कीड़ी भी उस महानदी को पार कर जाती है । इसी प्रकार हम चाहे कितने ही अशक्त हों, कितने ही कम पढ़े-लिखे हों, अगर महापुरुषों के मार्ग रूपी पुल पर आरूढ़ हो जाएँगे तो अवश्य ही अपने लक्ष्य को-आत्मशुद्धि को-प्राप्त कर सकेंगे। महापुरुषों का मार्ग संसार-सागर पार करने के लिए पुल के समान है। उनके मार्ग पर चलने से सब सिद्धियाँ प्राप्त हो जाती हैं। अव प्रश्न होता है कि महापुरुष किसे माना जाय ? इस प्रश्न का उत्तर एक प्रकार से कठिन है, फिर भी अगर हम सावधानी से विचार करें और निर्णय करने की शुद्ध बुद्धि हममें हो तो इतना कठिन भी नहीं है। आपके सामने दो प्रकार के पुरुष खड़े हैं । एक ने अपनी ऋद्धि खूब बढ़ाली है और बहुत बड़ा अमीर बन गया है। दूसरा किसी समय ऋद्धिशाली था। उसने ऋद्धि कः असारता और अशरणता समझ ली और फिर उससे विरक्त हो गया है। सारी.सम्पदा को त्याग कर भिक्षु बन गया है। अब अपने अनुभव से विचार कीजिए कि आपको कौन महापुरुष जान पड़ता है ? ... 'त्यागने वाला!' संसार में महान् ऋद्धिशाली भी बड़ा आदमी अर्थात् Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034899
Book TitleJawahar Kirnawali 19 Bikaner ke Vyakhyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Maharaj
PublisherJawahar Vidyapith
Publication Year1949
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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