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बीकानेर के व्याख्यान ]
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बार भगवान् के दर्शन कर चुका हूँ पर संसार का त्याग नहीं कर सका और आपने एक बार में ही संसार त्याग दिया ।
अर्जुन ने कहा- मुझ जैसे क्रूर हिंसक पर आपने बड़ी कृपा की है। मैं तो यही नहीं सोच पाता कि जब मुझ सरीखे अधम को आपने ही सुधार दिया तो जिसे आप नमन करते हैं वह भगवान् कैसे-कैसे पापियों को न तारते होंगे !
साधु अर्जुन माली ने वेले-वेले का पारणा करके छह महीने में ही अपने पापों को भस्म कर डाला ! उन्हेंाने अनेक कष्ट सहन किये और गहरे समभाव की साधना की । जब वह भिक्षा के लिए नगर में जाते तो लोग उन्हें तरह-तरह से लताते थे और कहते थे- हमारे अमुक संबंधी को नारने वाला यह हत्यारा अब साधु बनने का ढोंग कर रहा है ! लोगों के मारने पर भी अर्जुन मुनि मुस्किराते रहते । कभी-कभी कहतेआप लोग सचमुच बड़े दयालु हैं। मैंने आपके संबंधी की हत्या की थी पर आप मार-पीट कर ही मुझे छोड़ देते हैं । अर्जुन मुनि का ऐसा अद्भुत समभाव देखकर मारने वाले भी काँप उठे कि मारपीट से जब इसे दुःख ही नहीं होता तो मारपीट करने से लाभ हो क्या है ? ऐसा करके हम उलटे पाप में पड़ते हैं । इस प्रकार के विचार करके कई लोग प्रभावित हुए ।
अर्जुन माली की कथा आपने कई बार सुनी होगी । पर जरा विचार करो कि यह कथा अपनी है या अर्जुन माली
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