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बीकानेर के व्याख्यान ]
सुदर्शन का क्या कर्त्तव्य होता! ___ क्षमा तीन प्रकार की होती है तमोगुणी, रजोगुणी और सतोगुणी । तमोगुणी क्षमा वाले वे लोग हैं जो अपनी स्त्री के साथ बलात्कार करते देख हृदय में क्रोध तो करते हैं, मगर भय के मारे सामना नहीं करते। यह तमोगुणी क्षमा प्रशस्त नहीं है, यह कायरता है, घृणित है और नपुंसकता है । अर्जुन माली का कार्य संसार का नाशक नहीं, अत्याचारी को दण्ड देना है और वह दूसरे अत्याचारियों के ऐसे दुस्साहस को रोकने के लिए किया गया था। हमारा उपदेश तो ऐसी नमा के लिए है जैसी क्षमा सुदर्शन सेठ ने अर्जुन माली के प्रति धारण की थी। वह सतोगुणी क्षमा थी। जिसमें क्रोध तनिक भी उत्पन्न नहीं होता और क्षमा कर दिया जाता हैं, वही सतोगुर्णा क्षमा है। धर्म, अत्याचार-अनाचार को न रोकने की शिक्षा नहीं देता। धर्म किसी को कायर नहीं बनाता। धर्म की ओट में कोई अत्याचार का प्रतीकार न करे या कायरता को छिपाने के लिए धर्म का बहाना करे, यह अलग बात है। मगर जिसने धर्म के तत्त्व को ठीक तरह समझ लिया होगा वह अपने ऐमे कृत्यों द्वारा धर्म को बदनाम नहीं करेगा।
बौद्ध ग्रंथों में एक कथा आई है। सोमदेव नामक एक ब्राह्मण की आध्यात्मिक भावना बालकपन से ही बढ़ी-चढ़ी
थी। अतएव माता-पिता के मरते ही सोमदेव और उसकी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com