SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 42
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - - --- -- - - बीकानेर के व्याख्यान ] [ ३३ - - - पापों का भी त्याग करो। जिस समय कोई आप पर क्रोध की ज्वालाएँ फेंके उस समय आप शांति के सागर बन जाइए । शांतिनाथ भगवान् का नाम लीजिए । फिर आप देखेंगे कि क्रोध करने वाला किस प्रकार परास्त हो जाता है। भगवान् शांतिनाथ का जाप तो लोग आज भी करते हैं, परन्तु उसका प्रयोजन दूसरा होता है। कोई मुक़दमा जीत लेने के लिए शांतिनाथ को जपते हैं तो कोई किसी दूसरी झूठी बात को सच्ची सिद्ध करने के लिए । इस प्रकार अशांति के लिए शांतिनाथ को जपने से कोई लाभ नहीं होगा। कोई भी अशांति उत्पन्न करने वाली चीज़ भगवान् शांतिनाथ को स्वीकृत नहीं हो सकती। प्रश्न किया जा सकता है कि क्या विवाह आदि के अवसर पर भगवान् शांतिनाथ का स्मरण नहीं करना चाहिए ? इसका उत्तर यह है कि स्मरण तो करना चाहिए लेकिन यह समझ कर कि विवाह बंधन की चीज़ है, इसलिए हे प्रभो! तू ऐसी शक्ति मुझे प्रदान कर कि मैं इस बंधन में ही न रहूँ। गृहस्थावस्था में विवाह से फलित होने वाले चतुर्थ अणुव्रत का पालन कर सकूँ और शक्ति पाने पर भोग को निस्सार समझ कर पूर्ण ब्रह्मचर्य को धारण कर सकूँ । इस प्रकार की धर्मभावना के साथ भगवान् का नाम जपने से आपका कल्याण ही होगा। व्यापार के निमित्त बाहर जाते समय आप मांगलिक Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034899
Book TitleJawahar Kirnawali 19 Bikaner ke Vyakhyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Maharaj
PublisherJawahar Vidyapith
Publication Year1949
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy