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प्रकाशक का परिचय
'बीकानेर के व्याख्यान' श्रीमान सेठ पीरदानजी रावतमलजी गुलगुलिया देशनोक (बीकानेर) को तरफ से प्रकाशित हो रही है । गुलगुलियाजी मूलत: नाल (बीकानेर) के निवासी हैं। आप संवत् १९२५ में देशनोक आकर बसे । सं.१६३६ में सेट पीरदानजी सिलहट जैसे दूरवर्ती प्रान्त में गये तथा १९४२ में आपने मोलवी बाजार (सिलहट) में व्यापार प्रारंभ कर दिया। दो वर्ष बाद सेठ रावतमलनी भी सिलहट पहुँच गये और दोनों भाइयों ने मिलकर व्यापार की खूब उन्नति की। सं. १६४७ में इस फर्म की एक ब्रांच श्रीमंगल (सिलहट) में भी खोल दी गई। सं. १६६५ में दोनों भाइयों का कारबार अलग-अलग हो गया। तब से मोलवी बाजार की दुकान सेठ रावतमलजी के हिस्से में पाई और श्रीमंगल की दुकान सेठ पीरदानजी के भाग में। मगर दोनों जगह पुराने नामों से ही व्यापार चालू रहा।
सं. १६७८ में सेठ पीरदानजी का स्वर्गवास हो गया। सेठ पीरदानजी बड़े ही सुयोग्य पुरुष थे। देश में भी और परदेश में भी, आपकी खूब ख्याति थी। आपका समुख चेहरा सब को
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