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[जवाहर-किरणावली
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करें, लेकिन आप प्रकृति के विज्ञान का मुकाबिला नहीं कर सकते । जहाँ सूर्य का प्रकाश नहीं पहुँचता वहाँ की हवा तो गन्दी होती सुनी जाती है लेकिन जहाँ बिजली का प्रकाश न हो वहाँ की हवा गन्दी होती सुनी है ?
'नहीं!'
इतना ही नहीं, बल्कि जहाँ बिजली का प्रचुर प्रचार है वहां की हवा गन्दी हो जाती है, ऐसा सुना गया है। नयीनयी वस्तुएँ देखकर आपका मन फिसल जाता है और आप उन्हें अपनाने के लिए तैयार हो जाते हैं परन्तु यह क्यों नहीं देखते कि ये वस्तुएँ प्रकृतिप्रदत्त लाभों को बढ़ाने वाली हैं या घटाने वाली ?
संसार में अगर बिजली की रोशनी, बिजली के पंखे, बिजली की सहायता से तैयार होने वाली दवाइयाँ न हों तो मनुष्य की मूल प्रकृति को कोई हानि पहुँचने वाली नहीं है। यही नहीं, वरन् इनके अभाव में मनुष्य ज्यादा सुखी, ज्यादा समृद्ध और ज्यादा संतुष्ट होगा। लेकिन अगर प्रकृति द्वारा प्रदत्त वस्तुएँ न है। तो कैसी बीतेगी? अगर सूर्य और चन्द्रमा का प्रकाश न हो तो मनुष्यों की क्या स्थिति होगी ? सुनते हैं, दक्षिणी ध्रुवप्रदेश की तलाश करने के लिए कई अंग्रेजों ने जाने का साहस किया और वे कुछ दूरी तक गये भी, फिर भी उन्हें सफलता नहीं मिली। सूर्य का प्रकाश न मिलने के कारण उन्हें मृत्यु का प्रालिंगन करना पड़ा । तात्पर्य Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com