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[जवाहर-किरणावली
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रहेगा और बढ़ेगा?
'जिसके पास किरणें पहुँचती हैं !'
वैज्ञानिकों का कहना है कि रंग भी सूर्य की किरणों से ही बनता है। सूर्य की किरणों के आदान-प्रदान पर ही रंग की विशेषता निर्भर है। सूर्य किसी फूल को अपनी जितनी किरणे देता है, उन सब किरणों को अगर फूल लौटा देता है तो वह फूल सफेद होता है। सफेद रंग सब रंगों में अच्छा समझा जाता है। इस रंग को प्राप्त करने वाले फूल सूर्य की जितनी किरणें लेते हैं, उतनी या उससे भी अधिक सूर्य को लौटा भी देते हैं । फिर जो फूल किरणे लेते ज्यादा हैं, और लौटाते कम हैं, उनमें लौटाने की कमी के अनुपात से ही रंगभेद हो जाता है। गुलाब का फूल सूर्य से जितनी किरणे ग्रहण करता है उतनी वापिस नहीं लौटाता, कम लौटाता है। इस कारण उसका रंग गुलाबी होता है। जो फूल जितनी किरणें कम लौटाता है उसका रंग उतना ही खराब होता जाता है। जो फूल सूर्य की किरणें लेता तो है मगर लौटाता बिलकुल नहीं, उसका रंग काला हो जाता है।
सूर्य की किरणों के आधार पर फूलों के रंगों में वैज्ञानिकों ने जो भेद बतलाये हैं, वैसे ही भेद ज्ञानियों ने लेश्या के बतलाये हैं। सफेद फूल के जो गुण बतलाये गये हैं वही गुण उदार पुरुष में होते हैं। इसी प्रकार उन लोगों को काले फूल के समान बतलाया गया है जो प्रकृति की सहायता लेते तो
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