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बीकानेर के व्याख्यान ]
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और उसकी अधिकाधिक सहायता करते थे। वह सोचतेमेरा ही पाप उसके पास पहुँचकर ऐसा कहला रहा है। वह मुझे अपशब्द नहीं कहती वरन् मंगल-उपदेश दे रही है। धीरे-धीरे टाल्सटाय के जीवन में आमूल परिवर्तन हो गया। ___ संदेह किया जा सकता है कि कहीं गालियों से या वेश्या से भी उपदेश मिल सकता है ? इसका उत्तर यही है कि हम सब में और वेश्या में मूल तत्त्व तो एक ही है। मगर उसे समझने के लिए गहराई में घुसना पड़ता है। इसी प्रकार आत्मा और परमात्मा में भी मूल तत्त्व समान है । उसे खोज लेने, उस तक पहुँचने और प्राप्त करने के लिए जिस उपाय की आवश्यकता है, वह प्राचार्य मानतुंग ने प्रकट कर दिया है।
मित्रो! आप लोग दूसरों की बुराई देखना छोड़कर अपनी बुराइयाँ देखो । यह देखो कि आपने दूसरों को पतित ही किया है या किसी का उत्थान भी किया है ? इस बात पर विचार करने से आपका उत्थान होगा। ईश्वर दूर नहीं है। जिनको तुमने पतित किया है, उनके अन्तःकरण से निकलने वाली ध्वनि अपने कानों से सुनो और सोचो कि वह तुम्हारे विषय में क्या कहते हैं ?
टाल्सटाय ने वेश्या को भ्रष्ट किया था। अगर आपके जीवन में ऐसा कोई काला धब्बा नहीं है तो आप भाग्यशाली
हैं ! लेकिन दूसरे पदार्थों को तो आप भ्रष्ट करते ही हैं। यह Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com