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बीकानेर के व्याख्यान]
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किधर जाते हैं ! शब्द भले ही टूटे-फूटे हों फिर भी यदि ये परमात्मा के प्रति समर्पित होंगे तो उत्तम ही हैं और सज्जन पुरुषों को मनोहर प्रतीत होंगे। ___ बहुत-से लोग देवता को फूल फल-पत्ता चढ़ाते हैं और कई अनार्य पुरुष बकरा तथा भैंसा जैसे त्रसजीवों की बलि देते हैं । यह सब आडम्बर है । देवता सजन हैं । उन्हें प्रसन्न करना है तो परमात्मा को अपनी वाणी चढ़ाओ । ऐसा करने से देवता स्वतः प्रसन्न हो जाएँगे, क्योंकि वे भी परमात्मा के भक्त और दास हैं। महामहिम परमात्मा की स्तुति करने से देवताओं का प्रसन्न हो जाना स्वाभाविक है। ___ आधार-.प्राधेय का विचार करके देखना चाहिए कि वस्तु कहाँ जाती है ? विद्वानों ने वस्तु की गति तीन प्रकार की बतलाई है। एक ही वस्तु उत्तम स्थान पर जाने से उत्तम हो जाती है, मध्यम स्थान पर जाने से मध्यम हो जाती है और नीच स्थान पर जाने से नीच बन जाती है । भृर्तृहरि ने जल के सम्बन्ध में कहा है
- संसप्लायसि संस्थितस्य पयसो नामापि न ज्ञायते, मुक्ताकारतया तदेव नलिनीपत्रस्थि - राजते । स्वात्यां सागरशुक्तिमध्यपतितं तम्मौक्तिकं जायते,
प्रायेणाघममध्यमोत्तमगुणाः संसर्गतो देहिनाम् ।। यों पानी के विन्दु की कोई कीमत नहीं करता। लेकिन वही पानी का विन्दु जब स्वाति नक्षत्र में सीप के मुख में Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com