SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 296
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ बीकानेर के व्याख्यान ) [२८७ ---- -- कार्य नहीं करते । आप भगवान् ऋषभदेव के कथन के विरुद्ध जीवन यापन करते हैं । आप प्रत्येक वस्तु को भोग की तराजू पर तोलते हैं, कमाते नहीं हैं। जब शरीर को वस्तु की आवश्यकता है तब बिना पैदा किये उस वस्तु का भोग कैसे होगा ? जब तक यह बात आप भलीभांति नहीं समझ लेंगे तब तक आध्यात्मिक जीवन को कैसे समझेगे? और जब तक आध्यात्मिक जीवन को नहीं समझेंगे तब तक स्तोत्र बोल लेने मात्र से पापों का नाश कैसे हो सकता है ? जिसने पक्षपात और स्वार्थ की दृष्टि का त्याग कर दिया है, उसके पाप भगवान के स्तोत्र से अवश्य ही नष्ट हो जाते हैं। एक आदमी दूसरे गरीब के कंधे पर चढ़ा है और कंधे को इस तरह दबाता है कि जिधर चाहे उधर ही उसे ले जाता है। तिस पर भी सवार कहता है कि मैं इस गरीब पर दया करता हूँ। मैं न हाऊँ तो इसकी न जाने क्या दशा हो ! मगर कंधे पर चढ़ने वाले से पूछा जाय कि जब तुझे कंधे पर बिठाने वाला नहीं मिलेगा तो तेरी क्या दशा होगी? आज करीब-करीब यही दशा हो रही है। अमीर लोग गरीबों पर सवार हैं, उनके धन का शोषण कर रहे हैं; तिस पर ऐहसान करते हैं कि हम गरीबों पर दया कर रहे हैं ! सम्यग्दृष्टि पुरुष अपने उपकारी का उपकार करने का ही विचार करता है। किपी से उधार लेकर न देना सम्यग्दृष्टि का काम नहीं है। लेकिन अपने ऐश-आराम के लिए गरीबों के प्रति Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034899
Book TitleJawahar Kirnawali 19 Bikaner ke Vyakhyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Maharaj
PublisherJawahar Vidyapith
Publication Year1949
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy