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________________ बीकानेर के व्याख्यान ] [२८१ लोग मजे में रहते थे और मौज करते थे। धर्म की इसमें क्या ग्लानि हुई ? तीर्थकर जैसे परमोत्कृष्ट पुण्यशाली पुरुष का जन्म होने पर तो कल्पवृक्षों की शक्ति अधिक बढ़नी चाहिए थी, मगर उन्होंने तो, जो पहले देते थे, वही देना बन्द कर दिया । इसका क्या कारण है ? मित्रो ! लोग ऐसे ही चक्कर में पड़े हैं । आत्मा जिस सुख के लिए ललचा रहा है, जिस सुख को भोगने की इसे टेव पड़ गई है, उसमें कमी होते ही यह चिल्लाने लगता है, हाय-हाय करने लगता है। पहले कल्पवृक्ष वस्तुएँ देते थे और फिर उन्होंने देना बंद कर दिया। ऐसी दशा में हाय-हाय होना स्वाभाविक है । और उस हाय-हाय को मिटाने के लिए महापुरुष का जन्म होना भी स्वाभाविक है। तीर्थकर अनेक लब्धियाँ लेकर जन्मते हैं । उनमें आश्चर्य-- जनक शक्तियाँ मौजूद रहती हैं। फिर भी उन्होंने संसार की हाय-हाय मिटाने का उपाय कृत्रिम बतलाया है या अकृत्रिम बतलाया है ? महापुरुष का जन्म और कर्म कितना दिव्य होता है, यह बात पूरी तरह तो दिव्य दृष्टि प्राप्त होने पर ही जानी जा सकती है। शास्त्रों में वह दिव्यता,प्रकट की गई है लेकिन सर्वसाधारण की समझ निराली होती है । भगवान् ऋषभदेव दिव्य ज्ञानी थे । वे ऐसे पोले उपाय नहीं बतला सकते थे कि अमुक मंत्र जप लो और तुम्हारी मनचाही चीज़ तुम्हें मिल जायगी । भगवान् का जन्म अकर्मण्यभूमि मिटाकर कर्मभूमि Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034899
Book TitleJawahar Kirnawali 19 Bikaner ke Vyakhyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Maharaj
PublisherJawahar Vidyapith
Publication Year1949
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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