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________________ २३४ ] [ जवाहर - किरणावली करने वाला अपने कर्त्तव्य का पालन करता है । जो कर्त्तव्य का पालन न करके समुद्र में ही पड़ा पड़ा मर जाता है, निकलने की चेष्टा ही नहीं करता, वह मूर्ख गिना जाता है । यह संसार - समुद्र भी प्रलयकाल के तूफान से क्षुब्ध समुद्र के समान है । संसारसमुद्र में कर्म रूपी प्रलयकालीन पवन से तूफान उठ रहा है और कुटुम्ब परिवार रूपी मच्छ- कच्छ जीव हैं । इस संसार - समुद्र को भी अपनी भुजाओं से पार करना कठिन है, फिर भी कोशिश करना मेरा कर्त्तव्य है । मित्रो ! इस प्रकार हिम्मत करने वाले ही कठिन कठिन कार्यों में भी सफलता पाते हैं। जो कायर पुरुष, पहले से ही हिम्मत हारकर बैठा रहता है और कहता है कि भई, यह काम तो मुझसे नहीं हो सकेगा, वह साध्य कार्य में भी सफलता नहीं पा सकता । महाजातक की कथा पढ़ी किसी सेठ का एक लड़का जहाज़ की मुसाफिरी के लिए तैयार हुआ । उसके पिता ने उसे बहुत समझाया। कहाबेटा ! अपने घर में बहुत धन है। जहाज़ में मुसाफिरी करना खतरनाक है । तू क्यों व्यर्थ कष्ट सहन करता है ? मगर लड़का बड़ा उद्योगशील था । उसने पिता को उत्तर दियां-पिताजी, आपका कथन सत्य है, किन्तु इस धन को उपार्जन करने में आपने भी तो कष्ट सहन किये होंगे ? फिर क्या मेरे लिए यह Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com एक बौद्ध सम्प्रदाय के ग्रन्थ थी । उसका सार यह है
SR No.034899
Book TitleJawahar Kirnawali 19 Bikaner ke Vyakhyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Maharaj
PublisherJawahar Vidyapith
Publication Year1949
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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