SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 172
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ • बीकानेर के व्याख्यान ] होती है ! इस प्रकार विद्वान् ने सब का विचार कर देखा । अन्त में उसने निश्चय किया कि औरों के घरचोरी करना तो उचित नहीं है; राजा के यहाँ चोरी करनी चाहिए । इस प्रकार निश्चय करके वह राजा के यहाँ चोरी करने गया । [ १६३ राजा ने एक बन्दर पाल रक्खा था । बन्दर राजा को बड़ा प्रिय था । वह उसे अपने साथ ही खिलाता और साथ ही रखता था। रात के समय जब राजा सोता तो बन्दर नंगी तलवार लेकर पहरा दिया करता था । राजा बन्दर को अपना बड़ा प्रिय मित्र समझता था । राजा सो रहा था । बन्दर नंगी तलवार लिये पहरा दे रहा था। इसी समय विद्वान् चोरी करने के लिए पहुँचा । बन्दर राजा का मित्र है, लेकिन वह विद्वान् चोरी करने आया है इस कारण शत्रु है। फिर भी देखना चाहिए कि विद्वान् शत्रु में और मूर्ख मित्र में कितना अन्तर है ? और दोनों में कौन अधिक हितकर या अहितकर है ? राजा गाढ़ निद्रा में लीन था । उसी समय मकान की छत पर एक साँप आया । साँप की छाया राजा पर पड़ी । बन्दर ने साँप की छाया को साँप ही समझ लिया और विचार किया कि यह साँप राजा को काट खाएगा ! वह चपल और मूर्ख तो था ही, आगे-पीछे की क्यों सोचने लगा ? उसे विचार ही नहीं आया कि छाया पर तलवार चलाने से साँप तो मरेगा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034899
Book TitleJawahar Kirnawali 19 Bikaner ke Vyakhyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Maharaj
PublisherJawahar Vidyapith
Publication Year1949
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy