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________________ वीकानेर के व्याख्यान ] [१३६ --- ---- स्थिति में महापुरुष का मार्ग कौन-सा समझा जाय ? किस पर चले ? जैनसिद्धान्त इस प्रश्न का जो उत्तर देता है, वह इतना व्यापक है कि उसे कोई अस्वीकार नहीं कर सकता। जैनसिद्धान्त कहता है कि महापुरुष वह है जिसमें राग और द्वेष न हो । अर्थात् जिसने गग आदि आत्मिक दोषों को पूर्ण रूप से जीत लिया हो और दोषों को जीतने के फलस्वरूप जिसमें पूर्ण ज्ञान उत्पन्न हो गया हो वही महापुरुष है। प्रश्न का अन्त फिर भी नहीं होता। अब यह आशंका उठ सकती है कि निर्दोष और पूर्ण ज्ञानी कौन है ? लेकिन आत्मा में ऐसी शक्ति विद्यमान है कि वह महापुरुष को फौरन पहचान सकती है। आप लोग महापुरुष की खोज इसलिए करना चाहते हैं । कि आपके दोष महापुरुष का उपदेश मिलने से नष्ट हो जाएँ । तो इन दोषों के सहारे ही महापुरुष का पता लगाया जा सकता है। आपमें काम, क्रोध, लोभ, मोह आदि दोष हैं । इन दोषों का नाश करने के लिए ही आप महापुरुष की खोज करते हैं तो समझा जा सकता है कि जिसमें यह दोष न हो वही महापुरुष है। जिसमें राग-द्वेष होंगे उसके वचन सदोष होंगे और जो राग-द्वेष से मुक्त है उसके वचन मी निर्दोष हैं । उन वचनों को ग्रहण करने से हमारा कल्याण होगा? कहा जा सकता है कि क्या सभी साधु वीतराग हैं ? Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034899
Book TitleJawahar Kirnawali 19 Bikaner ke Vyakhyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Maharaj
PublisherJawahar Vidyapith
Publication Year1949
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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