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[ जवाहर-किरणावली
नहीं तो चले जाएँगे। ____ सब लोग फूलांबाई के इस आकस्मिक परिवर्तन को देख कर चकित रह गए। किसी ने कहा-अब तुमने अपना नाम सार्थक किया ! पर यह तो कहो कि इस परिवर्तन का कारण क्या है ?
फूलां-अपने घर एक भक्त आये हैं। यह परिवर्तन उन्हीं के प्रताप से हुआ है।
सारा वृत्तान्त जानकर सब परिवार के लोगों ने उन मेहमान की प्रशंसा की। उनका बड़ा उपकार माना और देवता की तरह सत्कार किया। सेठ ने कहा-सच्चे भक्त से ही ऐसा काम हो सकता है ! आपने हमारा घर पावन कर दिया। जिस घर में सदा आग लगी रहती थी उसमें आपने अमृत
का स्रोत प्रवाहित कर दिया। ____ फूलां ने भक्त मेहमान से कहा- भगतजी ! अच्छा, इस पद का अर्थ बतलाइए:
जो रूठे उसको रूठन दे, तू मत रूठे मन बेटा ।
एक नारायण नहिं रूठे तो सब के काट लू चोटी पटा॥ भगत ने कहा-पहले तुमने जो अर्थ समझा है, वह बतलाओ। फिर मैं कहूँगा।
फूलां-मैंने यह अर्थ समझा था कि एक ईश्वर को खुश रखना और सब के चोटी-पट्टे काट लेना।
भगत यही तो भूल है। इसी भूल ने तुम्हें चक्कर में Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com