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(१४) जैन धर्मके उपदेशक तैयार करके गांवगांव धर्मोपदेशके लिए भेजना, ब्रह्मचर्याश्रम खोलना, श्राविका शालाएं और श्राविकाश्रमोंको चलाना इत्यादि कायों में अपना धन वितरण करनेकी इच्छा हुई है और धन लगाने भी लगेहैं. कुछ वर्ष पहिले तो गांवगांवके जैनी भाई आपसमें चंदा करके ऐसे कार्य चलातेथे; लेकिन अब ऐसे कार्य करनेमें एकेक धनाढ्य जैनी पुरूष दोदो लाख चारचार लाख रुपयोंकी रकम एकमुष्ट प्रदान करनेको तैयार होगये हैं; यह बात क्या सामान्य है ? यह क्या थोडी अनुकूल सामग्री आप समझते हैं ? मैं तो जैनीयोंकी उन्नति होनेकी काललब्धि बडी नजदीक आगई समझता हूं. बंबई प्रांतमें पंद्रह बरस हुये श्रीमान दानवीर शेठ माणिकचंद पानाचंदने जैनबोर्डिंग और हिराबाग धर्मशाला बनानेमें चार लाख रुपये प्रदान किये. आकलूजवाले गांधी नाथा रंगजीने सोलापूरमें जैनबोर्डिंग और जैनोन्नति फंड खोलनेमें एक लाख रुपये प्रदान किये. कोल्हापूरमें जबेरी धर्मराव सुबेदारने जैन बोर्डिंग खोलनेमें बीस हजार रुपये प्रदान किये. अलाहाबादमें जैन बोर्डिंग खोलनेकेलिये पचीस हजार रुपये एक जैन अबालाने प्रदान किये. खुद्द इस इंदोर शहर में श्रीमान रायबहादुर शेठ कल्याण मलजीने हायस्कूल चलानेमें दो लाख रुपिया प्रदान किये, जिसका शुभ मुहूर्त कुछदिन पीछे हिज हायनेस महाराजा तुकोजीराव होळकर इस इंद्रपुरीके नरेशके हस्त कमलोंसे बड़े समारंभसे होनेवाला है. ऐसेही आपके बड़े भ्राता श्रीमान दानवीर शेठ हुकुमचंद्रजीने अपने जैन जातिकी उन्नतीके लिये चार लाख रुपये प्रदान करनेका संकल्प किया है सोभी आपको विदितही है !!! बडे हर्षकी बात है कि ऐसे ऐसे धनाढ्य और अग्रणी पुरुषोंके अंत:करण अपने जैनी भाईयोंकी उन्नति करनेकी तरफ लगे हैं !! धन्य है ऐसे पुरुष रत्नोंको कि जिन्होंने इस संसारमें चंचल लक्ष्मीको पाकर उसको परोपकारमें, जात्युन्नतीमें, और धर्मोनतीमें लगाकर उस लक्ष्मीको सफल किया, और अपने आत्माका उद्धार किया ! ऐसे ऐसे श्रेष्ठ और Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
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