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________________ (२३) अर्थातः-हा, मैने कैसा दुष्ट काम किया! हा, मैने कैसा दुष्ट चितवन किया! हा, मैने कैसा दुष्ट भाषण किया! जिसके पश्चातापसे मेरा हृदय विदीर्ण हो रहा हैं, जल रहा है. और भी, पडिकमामि भंते. वदपडिमाए विदीए थूलयडे असच्चविरदिवदे मिच्छोवएसेण वा रहोअज्झक्खाणेण बा कूटलेखकरणेण वा णासापहारेण वा सायारमंतभेएण वा जो मए देवसिउ अइचारो अणाचारो मणसा वचसा कायेण कदो वा कारिदो वा कीरंतो वा समणुमणदो तस्स मिच्छामि दुकडं ॥ अर्थातः-हे भगवान मैं प्रतिक्रमण करताहूं. व्रतप्रतिमाके दूसरे स्थूल असत्य त्याग व्रतमें मिथ्या उपदेश देनेसे, किसीकी गुह्य बात प्रगट करनेसे, खोटे लेख लिखनेसे, किसीकी धरोहरका अपहार करनेसे, किसीकी चेष्टासे मालूम हुए गुप्त विचारसे प्रगट करनेसे, जो मैने दिवसभर अतिचार वा अनाचार मन, वचन कायसे किया हो, कराया हो अथवा करतेको भला मानाहो उसका पाप मिथ्या हो. वैसे ही, पडिक्कमामि भंते, वदपडिमाए तदीए थूलयडे थेणविरदिवदे थेणपओगेण वा थेणहरियादाणेण वा विरुद्धरज्जाइक्कमणेण वा हीणाहियमाणेण वा पडिरूवयववहारेण वा जो मए देवसिउ अइचारो अणाचारो मणसा वचसा कायेण कदो वा कारिदो वा कीरंतो वा समणुमणदो तस्स मिछामि दुक्कडं ॥ अर्थातः-हे भगवान मैं प्रतिक्रमण करता हूं. व्रत प्रतिमाके तीसरे स्थूल अचौर्यव्रतमें मैंने यदि किसीको चोरी करनेमे लगाया हो, चोरीका माल लिया हो, राजाज्ञाके विरुद्ध कोई अतिक्रमण किया हो, हीनाधिक तोल मापसे देन लेन किया हो, मालका स्वरूप बदलकर व्यवहार किया हो, और उससे मुझै दिनभरमे जो कुछ अतिचार अथवा अनाचार मन, वचन, कायसे किया हो कराया हो अथवा करनेवालेको Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034888
Book TitleJaina Gazette 1914
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ L Jaini, Ajitprasad
PublisherJaina Gazettee Office
Publication Year1914
Total Pages332
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size21 MB
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