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________________ पाप यदि उपदेशोंकी तरफसें ठसाया जाय तो यह कुरीति भी मिट जायगी. आतिषबाजी फिजूल खर्ची में गर्भित है इसलिये अनर्थदंड गुणव्रत और परिग्रहप्रमाण अणुव्रतका पालन होनेसे बंद होजायगी. ___ ऐसे कुरीतियां सब मिट जानेसे वाणिज्यवृद्धीमें बहुत सफलता देखनेमें आवेगी. अभीका समय वाणिज्यवृद्धीको बडा अनुकूल है. वाणिज्यवृद्धीके विघ्नकारक ऐसे चोरी, डाका, लूटफाट इत्यादि उपद्रव अपनी न्यायशील गवर्नमेंट के उत्तम प्रबंधसे बहुत कुछ निमूल होगये हैं. रेल और आगबोटोंमें लाखों रुपियों का माल एक देशसे दूसरे देशमें बिना नुकसान पहुंचाया जाता है. प्रतिदीन हजारां चांदी सोनेकी पार्सलें, भेजनेवालेका जोखम होनेपर भी जैसीकी तैसी आबाद हालतमें मालिकको मिल जाती हैं. टपालद्वारा लाख रुपियेकी हुंडिया, चेक, नोट वगैरेह भेजे जाते हैं. और वे बराबर मालिकके हातमें पहुचते हैं. तारसे भी हजारो रुपियां एक जगहसे दूसरे जगह हजारां माइल दूर प्रदेश होनेपर भी उसी दिन मिल जाते हैं. इत्यादि वाणिज्य वृद्धीको बडी अनुकूल सहायता होनेसे पहले जमानेसे हालके जमाने में वाणिज्य कार्यमें बहुत लोग लगे हैं. पहले जमानेमें वाणिज्य करनेवाले थोडे थे जिससे किफायतका प्रमाण अधिक रहाताथा. परंतु मालका लेनदेन अभीके प्रमाणसें बहुतही कम होताथा. इस समय वाणिज्य करनेवालोंकी संख्या बहुत बढगई है, और मालका लेनदेन भी बहुत बढगया है। जिससे कमती किफायतसे व्यापार करते हुए भी फायदा रहता है। लेकिन पहिलेकी तरह सुस्ती चलती नहीं रातदिन तेजीमंदीके रूखपर नजर रखने में बडी चंचलता रखनी पडती है. मालका क्रयविक्रय बढजानेसे थोडी पूंजीसे व्यापार चलानेवालोंका काम बराबर चलता नहीं. और व्यापारका चलन पहलेकी तरह सिर्फ भारतवर्षमेंही न होकर दुनियाभरमें फैलाता जानेसे दुनियाभरके मालकी उपज और दुनियाभरके मालकी खिपत इत्यादि बातोंसे सहजमें तेजीमंदी होजाती है। जिससे बडा भारी नफा नुकसान होनेका Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034888
Book TitleJaina Gazette 1914
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ L Jaini, Ajitprasad
PublisherJaina Gazettee Office
Publication Year1914
Total Pages332
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size21 MB
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