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और भेलपुरा में उन तीर्थङ्करों के जन्म स्थान हैं और वहां दर्शनीय मन्दिर बने हुये हैं । इनके अतिरिक्त बलानाले पर एक पंचायती मन्दिर और अन्यत्र तीन चैत्यालय हैं। जौहरीजी के चैत्यालय में हीरा की एक प्रतिमा दर्शनीय है । मैदागिन में भी विशाल धर्मशाला और मन्दिर है। भदैनी पर 'श्री स्याद्वाद महा. विद्यालय' दि० जैनियों का प्रमुख शिक्षा केन्द्र हैं जिसमें उच्चकोटि की संस्कृत और जैन सिद्धान्त की शिक्षा दी जाती है । महाकवि वृन्दावनजी ने यहीं रहकर अपनी काव्य रचना की थी। यहीं पर उनके पिताजी ने अपने साहस को प्रगट करके-धर्मद्रोहियों का मान मर्दन करके-जिन चैत्यालय बनवाया, जिससे धर्मकी विशेष प्रभावना हुई थी। भावक यात्रियों को इस घटना से धर्मप्रभावना का सतत उद्योग करने का पाठ हृदयङ्गम करना चाहिये । बनारस विद्या का केन्द्र है । यहां पर हिन्दुविश्वविद्यालय दर्शनीय संस्था है। क्या ही अच्छा हो कि यहां पर एक उच्चकोटिका जैनकॉलिज स्थापित किया जावे ! यहां के बरतन और जरीका कपड़ा प्रसिद्ध है। यहां से सिंहपुरी ( सारनाथ ) और चद्रपुरी के दर्शन करने के लिये जाना चाहिये ।
सिंहपुरी
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सिंहपुरी बनारस से ५ मील दूर है । वहां श्री श्रेयांसनाथ भ० का जन्म हुआ था । एक विशाल जिनमन्दिर है, जिसमें Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com