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कर मुनिपद धारण करके जीवों का उपकार किया था । यह सुन्दर तीर्थ अयोध्या सरय नदी के किनारे बसा हुआ है । मु० कटरा में एक जैन धर्मशाला है । पांच दिगम्बर जैन मन्दिर हैं चरणचिन्ह प्राचीन काल के हैं । प्राचीन मन्दिर साहबद्दीन के समय में नष्ट किये जा चुके हैं। वर्तमान मन्दिर संवत् १७८१ में नवाब सुजाउद्दौला के राज्यकाल के बने हुये हैं । यह पांचों मन्दिर क्रमशः सरयकिनारे मुहल्ला सरगद्वारी और उसके पास सुसाटी मुहल्ले तक हैं। श्री अनन्तनाथ और श्री अजितनाथजी के मन्दिर में केवल चरणचिन्ह हैं।
रत्नपुरी रत्नपुरी वह पवित्र स्थान है, जहां पर तीर्थङ्कर श्री धर्मनाथजी का जन्म हुआ था । वहां फैजाबाद से जाया जाता है । एक श्वेताम्बरीय मन्दिर में दि० जैन प्रतिमाजी विराजमान हैं । वहां के दर्शन करके फैजाबाद से बनारस जाना चाहिये ।
त्रिलोकपुर । त्रिलोकपुर अतिशयक्षेत्र बाराबंकी जिले में विन्दौरा स्टेशन से तीन मील दूर है । यहां तीर्थङ्कर भ० नेमिनाथ की तीन फीट ऊंची श्यामवर्ण पाषाण की बड़ी मनोज्ञ पद्मासन प्रतिमा विराजमान है । वह सं० ११९७ की प्रतिष्ठित है और चमत्कार लिये हुये है। यहां कार्तिक शुक्ला ६ को वार्षिक मेला होता है।
बनारस बनारस का प्राचीन नाम वाणारसी है और वह काशी देश की राजधानो रही है । जैनधर्म का प्राचीन केन्द्र स्थान है। सातवें तीर्थङ्कर श्री सुपार्श्वनाथजी और तेईसवें तीर्थङ्कर श्री पार्श्वनाथजी का लोकोपकारी जन्म यहीं हुआ था । भदैनी
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