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हुआ बड़ा नगर है। यही प्राचीन प्रयाग है । यहां किले के अन्दर एक अक्षयवटवृक्ष है। कहते हैं कि तीर्थङ्कर ऋषभदेव ने उसी के नीचे तप धारण किया था । यहां चार शिखिरवंद दि० जैन मन्दिर हैं और चौक के पास एक धर्मशाला है । मन्दिरों की बनावट मनोहर है और प्रतिमायें भी प्राचीन हैं । इस युग की यह आदि तपोभूमि है और प्रत्येक यात्री को धर्मवीर बनने का संदेश सुनाती है 'सुमेरचंद दि० जैन हौस्टल' में जैन छात्रों को रहने की सुविधा है । विश्वविद्यालय, हाईकोर्ट, किला, संगम आदि स्थान दर्शनीय हैं । हिन्दुओं का भी यह महान् तीर्थ है इलाहाबाद से पफोसाजी के दर्शन करने जाया जाता है अथवा भरवारी स्टेशन से जावे । यह पद्मप्रभु भ० से सम्बन्धित तीर्थ है प्रभासक्षेत्र नामक पहाड़ पर एक प्राचीन मनोज्ञ जिनमन्दिर दर्शनीय है।
कौशाम्बी ( कौसम)
प्राचीन कौशाम्बी नगर पफोसाजी से ४ मील है यहां पर पद्मप्रभुभ० के गर्भ-जन्म-तप और ज्ञान कल्याणक हुये थे यहां का उदायन राजा प्रसिद्ध था, जिसके समय में यहां जैनधर्म उन्नत शील था । कोसम की खुदाई में प्राचीन जैनकीर्तियाँ मिली हैं गडवाहा ग्राम में मन्दिरजी और प्रतिमाजी बहुत मनोग्य हैं यहां से वापस इलाहाबाद पहुँच कर लखनऊ जावे ।
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