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नाथजी के गर्भ, जन्म, तप और ज्ञानकल्याणक हुए थे । यहीं पर सती द्रोपदी का स्वयंबर रचा गया था। हरिषेण चक्रवर्ती ने यहाँ ही जैन रथ निकलवा कर धर्मप्रभावना की थी । भ० महावीर का समवशरण भी यहाँ आया था। किन्तु कम्पिल में इस समय एक भी जैनी नहीं है । परन्तु एक प्राचीन विशाल दि० जैनमंदिर दर्शनीय है जिसमें विमलनाथ भ० की तीन महामनोज्ञ प्रतिमायें विराजमान हैं । एक बड़ी धर्मशाला भी बन गई है। चैत्र मास में और आश्विन कृष्णा २-३ को मेला होता है। यहां से वापस कायमगज आकर कानपुर सेंट्रल स्टेशन का टिकट लेना चाहिये । कम्पिल में चहुंओर खण्डित जिनप्रतिमाय बिखरी पड़ी है, जिनसे प्रकट होता है कि यहां पहिले और भी मन्दिर थे। वर्तमान बडे मन्दिर जी में पहले जमीन में नीचे एक कोठरी में भ० विमलनाथ के चरण चिह्न थे, परन्तु अब वह कोठरी बन्द कर दी गई है और चरण पादुका बाहर विराजमान की गई है। विमलनाथ भ० की मूर्ति अतिशयपूर्ण है। मंदिर और धर्मशाला का जीर्णोद्धार होना आवश्यक है।
कानपुर कानपुर कारखानों और व्यापार का मुख्य केन्द्र है। यहां कई दर्शनीय जिनमदिर हैं। यहां से इलाहाबाद जाना चाहिये।
इलाहाबाद पफोसाजी इलाहाबाद गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर बसा
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