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यद्यपि आज भी पंजाब में जैनियों का सर्वथा अभाव नहीं है, परन्तु तो भी दिगम्बर जैनियों की संख्या अत्यल्प है । एक समय पंजाब और अफगानिस्तान तक दिगम्बर जैनियों का बाहुल्य था। १ उनके अतिशय क्षेत्र कोट कांगड़ा, तक्षशिला आदि स्थानों में थे; २ परन्तु आज वह पवित्रस्थान नामनिःशेष हैं । यह कालका माहात्म्य है । लाहौर, फीरोजपुर, पानीपत आदि जैनियों के केन्द्र स्थान है। पंजाबके लुप्त तीर्थों का पुनरुद्धार हो तो अच्छा है।
१-चीनदेश का यात्री ह्य त्सांग ७ वीं-८ वीं शताब्दि में भारत
आया था । उसने पंजाब के सिंहपुर आदि स्थानों एवं अफगानिस्तान में दिगम्बर जैनों की पर्याप्त संख्या लिखी थी ।
देखो 'हुएन सांग का भारत भ्रमण' (प्रयाग) पृष्ठ ३७ व १४२ २-कोटकांगड़ा में मुसलमानों के राज्यकाल में भी जैनों का
अधिकार रहा और वह स्थान पवित्र माना जाता था। अभी हाल में इस स्थान का परिचय श्री विश्वम्भरदासजी गार्गीय ने प्रगट किया है जिससे स्पष्ट है कि वहां दि० जैन मन्दिर था। अब वह खंडहर हो गया है और दि० जन प्रतिमा को सेंदुर लगा कर पूजा जाता है । क्या अच्छा हो यदि इसका जीर्णोद्धार किया जावे
रावलपिंडी जिले में कोटेरा नामक प्रामके पास 'मूर्ति' नामक पहाड़ी पर डॉ. स्टीन को प्राचीन जैन मन्दिर मिला था
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