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( १२५ ) है । यहाँ मोटर से चंदेरी जावे ।
चंदेरी ललितपुर से चंदेरी बीस मील दूर है । यहाँ तीन महा मनोज्ञ मन्दिर हैं। यहाँ एक मन्दिर में अलग-अलग चौबीस तीर्थङ्करों की अतिशययुक्त प्रतिमायें विराजमान हैं। इन प्रतिमाओं की यह विशेषता है कि जिस तीर्थङ्कर के शरीर का जो वर्ण था, वही वर्ण उनकी प्रतिमा का है । ऐसी प्रतिमायें अन्यत्र कहीं देखने को नहीं मिलती । इस चौबीसी को सं० १८९३ में सवाई चौधरी फौजदार हिरदेसाह मरदनसिंह के कामदार सवाईसिंहजी से निर्माण किया था। उनकी पत्नी का नाम कमला था। श्री हजारीलालजी वकील के प्रयत्न से इस क्षेत्र का उद्धार हो रहा है
और यहां हजारों दर्शनीय प्रतिमायें संग्रहीत हैं और शास्त्रों का संग्रह भी किया गया है। इसीलिये यह स्थान अतिशय क्षेत्र रूप से प्रसिद्ध है।
खन्दारजी चन्देरी से एक मील की दूरी पर खन्दार नामक पहाड़ी है। खन्दार नाम पड़ने का कारण यह है कि इस पहाड़ी की कन्दराओं (गुफाओं) में पत्थर काट कर मूर्तियां बनाई गई हैं जिनका निर्माण काल तेरहवीं शताब्दी से सत्रहवीं शताब्दी तक है । एक मूर्ति २५ फीट ऊंची है।
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