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पास ही जंगल में अत्यन्त रमणीक मंदिरों का समूह है । कुल दस मंदिर हैं । उनमें दो मंदिर दर्शनीय और भारी लागत के हैं; इनमें हाथी घोड़ा आदिकी मूर्तियां बनी हुई हैं। इनमें एक मंदिर में १८ फीट ऊँची कायोत्सर्ग पीले पाषाण की श्री शान्तिनाथजी की प्रतिमा अति मनोज्ञ है । अन्य मंदिर प्रायः सं० १६०२ के बने हुए हैं। कहते हैं कि श्रीअप्पा साहब भोंसला के राजमंत्री वर्धमान सावजी श्रावक थे । एक दिन राजा रामटेक आये । उन्होंने रामचन्दजी के दर्शन करके भोजन किये; परन्तु मंत्री वर्धमान ने भोजन नहीं किये; क्योंकि तब तक उन्होंने देवदर्शन नहीं किये थे । इसपर राजाने नग्नदेव के मंदिर का पता लगवाया तो जंगल के मध्य रामटेक के मन्दिरों का पता चला। मंत्रीजी ने दर्शन करके आनन्द मनाया और यहाँ पर कई मंदिर बनवाये । यहाँपर श्रीरामचन्द्र जी का शुभागमन हुआ था । यहाँ से छिंदवाड़ा होकर सिवनी जावे ।
सिवनी
सिवनी परिवार जैनियों का केन्द्रस्थान है । यहाँ २१ मन्दिर तालाब के किनारे बने हुये हैं। यहां का चाँदीका रथ दर्शनीय है। एक श्राविकाश्रम है । यहाँ से जबलपुर जावे ।
जबलपुर
भी परवार जैनियों का प्रमुख केन्द्र है । यहाँ
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जबलपुर
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