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( १०६ ) पाषाण की मनोज्ञ प्रतिमा सं० १६५४ की प्रतिष्ठित है । यहीं पर सं० १६०२ के भ० सुरेन्द्रकीर्तिजी के चरणचिन्ह हैं। पर्वत की वंदना करके वापस स्टेशन पर आजावे और वहाँ से आबूरोड जावे।
आबू पर्वत आबूरोड स्टेशन से आबू पर्वत १८ मील दूर है; आबपर्वत पर दिलवाड़ा में विश्वविख्यात दर्शनीय जिनमंदिर हैं। यहां दि० जैन धर्मशाला और एक बड़ा मंदिर श्री आदिनाथ स्वामी का है। शिलालेख से प्रगट है कि इस मंदिर की प्रतिष्ठा वि० सं० १४६४ में मिती बैशाख शुक्ला १३ को ईडर के भट्टारक महाराज ने कराई थी। दिलवाड़ा में श्री वस्तुपाल-तेजपाल और श्री विमलशाह द्वारा निर्मापित संगमरमर के पांच मन्दिर अद्भुत शिल्पकारी के बने हुये हैं। इनकी कारीगरी देखते ही बनती है। करोड़ों रुपयों की लागत के यह मंदिर संसार की आश्चर्यमई वस्तुओं में गिने जाते हैं। इनके बीच में एक छोटासा प्राचीन दिगम्बर जैन मंदिर भी हैं। इनके दर्शन करना चाहिये । यहाँ से अचलगढ़ जावे । वहाँ भी श्वेताम्बरीय जैनों के दर्शनीय मन्दिर हैं। जिनमें १४४४ मनस्वर्ण की जिन प्रतिमायें विराजमान हैं। उन्हीं में दिगम्बर प्रतिमा भी बताई जाती है । इस अतिशयक्षेत्र के दर्शन करके अजमेर आवे।
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