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देश के राजा और आठ करोड़ मुनि मोक्ष पधारे हैं । मंदिर के परकोट के पास पहुँचने पर पांडवकुमारों की खडगासन मूर्तियां श्वेताम्बरीय हैं । परकोट के अंदर लगभग ३५०० श्वे० मंदिर अपूर्व शिल्पचातुर्य के दर्शनीय हैं। श्री आदिनाथ, सम्राट् कुमारपाल, विमलशाह और चतुर्मुखमंदिर उल्लेखनीय है । रतनपोल के पास एक दिग० जैन मंदिर फाटक के भीतर है। इस फाटक का सुन्दर दरवाजा आरा के बाबू निर्मलकुमारजी ने बनवाया है । मंदिर में श्रीशान्तिनाथजी की मूलनायक प्रतिमा सं० १६८६ की है । यहां की वन्दना करके जूनागढ़ जावे
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जूनागढ़
जूनागढ़ रियासत की राजधानी है । यहाँ, महल. कचहरी, बाग़ वगैरह देखने के स्थान हैं। शहर में एक छोटा-सा दि० जैन मंदिर और धर्मशाला है, परन्तु यहां से तीन मील तलहटी की धर्मशाला में ठहरना चाहिये । सामान यहाँ से ले लेवे ।
गिरिनार (ऊर्जयन्त)
गिरिनार ( ऊर्जयन्त ) मनोहर पर्वतराज है-उस के दर्शन दिल को अनूठी शान्ति देते हैं। धर्मशालाके ऊपर ही गगनचुम्बी ऊर्जयन्त अपनी निराली शोभा दिखाता है। तलहटी में एक दि० जैन मंदिर है, जिसमें सं० १५१० का एक यंत्र और सं० १५४६
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