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(हम)
माणिकचौक मांडवी पोल में भी दो मंदिर प्राचीन हैं । एक चैत्यालय स्टेशन के पास है । श्री हठीसिंहजी का श्वेताम्बरीय मंदिर दर्शनीय शिल्प का बना हुआ है । उसे सिद्धाचल की यात्रा से लौटने पर श्री हठीसिंह ने दिल्ली दरवाजे पर सं० १९०३ में बनवाया था । इस विशाल मंदिर के चहुँ ओर ५२ चैत्यालय बने हुए हैं। अहमदाबाद में लैस - कपड़ा आदि बहुत बनता है । यहाँ के देखने योग्य स्थान देख कर पालीताना जाना चाहिये । विरमगांव और सिहोर में गाड़ी बदलती है ।
पालीताना- शत्रुंजय
पालीताना स्टेशन से करीब १ मील दूर नदी के पास धर्मशाला है । शहर में एक अर्वाचीन दि० जैन मंदिर अच्छा बना हुआ है। मूलनायक श्री शान्तिनाथजी की प्रतिमा सं०१६५१ की है । पहाड़ पर दो दि० जैन मंदिर थे, परन्तु छोटा मंदिर अब श्वेताम्बर भाइयों के अधिकार में है । यहां श्वेताम्बरीय जैनी, उनके मंदिर और संस्थायें अत्यधिक हैं । एक श्वे० आगम मंदिर लाखों रुपये खर्च करके बनवाया जा रहा है, जिसमें श्वे० आगमसूत्र पाषाण पर अंकित कराये जायेंगे । शहर से पहाड़ ३५ मील है, जहां तक तांगे जाते हैं । पहाड़ पैर लगभग तीन मील चढ़ने के लिये सीढ़ियां बनी हुई हैं । यह सिद्ध क्षेत्र है । यहाँ से तीन पांडव कुमार - युधिष्ठिर, अर्जुन और भीम - द्राविड़
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