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________________ ६० ACC जैन श्रमण संघ का इतिहास DataDING पंजाब की स्थापना तथा श्री जैन श्वेताम्बर कानफस (बम्बई) का पथ प्रदर्शन । उनके द्वारा स्थापित शिक्षण संस्थाएं श्री महावीर जैन विद्यालय (बम्बई ) श्री आत्मा नन्द जैन गुरुकुल (गुजराँवाला और झगड़िया) श्री आत्मानन्द जैन हाई स्कूल (अम्बाला शहर, लुधियाना होशियारपुर, जडियाला गुरु, मालेर कोटला सादड़ी और वरकाणा ) जैन बोर्डिङ्ग (पाटण) जैन डिग्री कालेज (अम्बाला शहर, मालेर कोटला, फालना ) जैन कन्या पाठशालाएं' (अम्बाला शहर, होशियारपुर वेरावल, बीजापुर, खुड़ाला, नकोदर, बड़ौदा) श्री आत्मानन्द जैन लायब्रेरी (अम्बाला शहर, अमृतसर स्यालकोट, बेरावल, सादड़ी लुणावा, आसपुर, जूनागढ़, पूनासिटी, बेड़ा, बिजोवा, बीजापुर ) श्री आत्मानन्द जैन पुस्तक प्रकाशन सस्थाएं ( भावनगर बम्बई, आगरा, अम्बाला शहर ) आ० हेमचन्द्र सूरि ज्ञान मन्दिर ( पाटण ) अन्य पदवियाँ :- सं० १६६० में वामणवाड़ा तीर्थ पर अखिल भारतीय पोरवाल जैन सम्मेलन ने "अज्ञान तिमिर तरणि, कलिकाल कल्पतरु" पदवी प्रदान की तथा सं० २०१० में आपके दीक्षा हीरक जयन्ती महोत्सव के अवसर पर आप श्री जी को "भारत दिवाकर चारित्र चूड़ामणि" की पदवी प्रदान की गई । विदेश में प्रचारः - श्री फतेचन्दजी लालन को सर्व धर्म सम्मेलण में भेजा । ||||||||||||||| Su मध्यम वर्ग सहायता: - इस वर्ग की सहायता के लिए पांच लाख रुपये का फण्ड चालू कराया । विशेष कार्य:- आयु पर्यन्त बाल ब्रह्मचारी रहे, गांधीजी को उनके आन्दोलनों में सहायता, खिलाफत आन्दोलन की आर्थिक सहायता, पं० मदन मोहन मालविय को उनकी उद्देश्य पूर्ति में विशेष सहायता की, बम्बई में विश्व शान्ति के अथक प्रयास किये, पं० मोतीलालजी नेहरू का सिगरेट प्रयोग छुडाया, हजारों का माँसाहार और नशा प्रयोग छुडाया, महाराज गायकवाड़ ( बडौदा ) नवाब ( पालनपुर ) नबाब ( सचीन) नवाब (मांगरोल) महाराजा ( जेसल - मेर ) महाराजा ( लींबडी) महाराजा ( नामा) श्री हीरा सिंहजी इत्यादि को उपदेश दिया, बीलियों नगर पालिकाओं तथा अजैन सस्थाओं से लग भग १०० मान पत्र मिले। कई स्थानों पर वाद विवादों में विजय प्राप्त की । सम्मेलन:- बडौदा में मुनि सम्मेलन बुलाया, तत्पश्चात् अहमदाबाद में श्री तप गच्छ मुनि सम्मे में महत्वपूर्ण भाग लिया। बडौदा में १६६३ में श्री विजयानन्द सूरिजी की जन्म शताब्दी मनाई । लन शिक्षा प्रेम: - जैन जैनेतर छात्रों को छात्र वृतियाँ दिला कर उच्च शिक्षा दिलाई। बनारस हिन्दु विश्व विद्यालय के लिए धन एकत्र कराया । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat रचित ग्रन्थ. - नवयुग निर्माता, पंजाब देश तीर्थं स्तवनावलि, स्तवन संग्रह तथा अनेक पूजाएँ इत्यादि की रचना की । उपसंहारः- आप श्री जी की अन्तिम शव यात्रा बम्बई में बड़े ही समारोह के साथ निकाली गई । दिगम्बर, श्वेताम्बर, स्थानकवासी, तेरहपन्थीं आदि सभी जैन तथा हिन्दु मुसलमान, ईसाई पारसी, यहूदी इत्यादि, लाखों नरनारी सम्मिलित हुए थे । स्थान २ पर पुष्प वर्षा के साथद्धांजलियाँ अर्पित की गई । आप श्री जी का अग्नि सरकार भायखला में जैन मन्दिर के पास दानवीर मोतीलाल मूलजी के सुपुत्र सेठ शाकरचन्द भाई ने इक्किस हजार की बोली से क्रिया । बंबई में उपयुक्त स्थान पर एक लाख रुपये की लागत से आप श्री जी का भव्य समाधि मन्दिर बनाया गया है जो कि बड़ा ही सुन्दर एवं दशनाय है । बड़ौदा, पाटन, बडौत बिजोबा, नाडौल वरकारणा लुधियाना समाना, हरजी तथा धना आदि स्थानों पर आप श्री जी प्रतिमाएं बिराजमान की जा रही हैं। लेखक:- महेन्द्र कुमार 'मस्त' - सामाना (पंजाब) www.umaragyanbhandar.com
SR No.034877
Book TitleJain Shraman Sangh ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain
PublisherJain Sahitya Mandir
Publication Year1959
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size133 MB
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