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जैन श्रमण सौरभ
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मुनि श्री टेकचन्दजी महाराज श्री धर्मवीरजी महाराज पिता का नाम मणिरामजी । माता का नाम श्रीमति संसारिक नाम समुद्रविजय । पिता का नाम श्री नन्नीदेवी । जाति अग्रवाल गर्ग। जन्म स्थान रठाना मुलखराज जैन । माता का नाम ईश्वरीदेवी । जन्म (जिला रोहतक) जन्म तिथि सं. १९६६ फागुन बदी .
दिवस ५ जून सन् १६०५ अमृतसर । जाति प्रोसवाल दीक्षा मिगसर वदी ५ सं १६८२ दीक्षा स्थान जींद (जि. गादिया
र गादिया । दीक्षा दिवस मिगसर वदी १३ सं० २००४ संगरुर) गुरु का नाम गणेबदेशिक श्री बनवारीलाली दीक्षा स्थान डेरा बसी । गुरु का नाम स्व० श्री अमर म० । गुरुभाई तपस्वी श्री फकीरचन्दजी महाराज । मुनिजी महाराज ।
श्री सहजरामजी महाराज मुनिश्री प्रकाशचन्दजी महाराज संसारी नाम सहजरामजी। पिता का नाम श्री आपका जन्म हांसी ( जि० हिसार ) के कानूगो बाबूरामजी। माता का नाम श्रीमति परमेश्वरीदेवी वश के प्रसिद्ध घराने में सं० १९७० पौष जाति अग्रवाल गोयल । जन्म स्थान ऐलनकला
कृष्णा १३ गुरुवार को हुआ था । जन्म नाम पारसजिला संगरुर ( पंजाब ) वर्तमान नाभा । जन्म तिथि
दास था । आपके पिता का नाम लाला महावीरसिंह मिंगसर वदी ११ सं० १६६० शुक्रबार । दीक्षा मूनक
जी तथा माता का नाम चम्पादेवी था । जाति अग्रवाल
गर्ग गौत्र । आपके दादा राय साहब रघुवीरसिंहजी शहर में कार्तिक मुदि १३ बुधवार सं० २०१० । गुरु
हिसार रियासत में वजीर रह चुके हैं। आपने सं० का नाम श्री टेकचन्दजी महाराज ।
१६६३ कार्तिक शुक्ला १३ का रावल पिन्डी में नोट:-दीक्षा लेने के लिये आप पाठ दफा घर प्रधानाचार्य पूज्य श्री आत्मारामजी म० के पास दीक्षा से पाए और माठ दफा ही घर वाले आपको वापिस अंगोकार को। आपने 'जम्बू चरित्र' लिखा है । पर ले गए | आप चले आए। नवीं बार आपने दृढ़ता वह अभी अप्रकाशित है। आपके शिष्य मथुरा के साथ दीक्षा लेली।
मुनिकी हैं। श्री ज्ञानमुनिजी महाराज
श्री मथुरामुनिजी संसारिक नाम जीतराम । पिता का नाम प्रभुदयाल आपका जन्म सं० १६६० जेष्ठ मास में जजों माता का नाम पानोदेवी। जाति अप्रवाल सिंगल (जिला होशियारपुर ) में हुआ। पिता लाला जम्म स्थान माजरा (जिला रोहतक ) माघ सुदि १४ चुक्कामल जी, माता वृदिदेवी। आपने ५ दिसम्बर स. १६६७ । दीक्षा स्थान नाभा दीक्षा तिथि भाद्र सुदि सन् १६५४ को प्रधानाचार्य श्री के पास लुधियाने में पंचमी सं० २०१२ । गुरु का नाम स्वर्गीय श्री अमर भागवती दीक्षा अंगीकार की। आप एक नदीयमान मुनिजी महारान।
प्रतापी सन्त हैं।
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