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________________ जैन श्रमण-सौरभ THIS IS INDIBIHIDALITANDAI IIILHIIDOILDINDAGIC UDSIERISTIHDAIISADIHIDAILIINDI HIDAMIL AHIRWARIDIH Extle. HALEGoyal CILITIALA QuvaLA मासुम्य सात लाख श्लोक प्रमाण नूतन-संस्कृत-साहित्य-सर्जक साहित्य महारथी-कवि रत्न प्राचार्य श्री विजय लावण्य सूरीश्वरजी महाराज आप महान ज्योतिधरसरि सम्राट प्राचार्य श्रीमद् विजय नेमिसरीश्वरजी के पट्टालंकार हैं। आपका जन्म सं० १६५३ भाद्रपद कृष्णा ५ को बोटाद ( सौराष्ट्र ) में हुआ। पिता का नाम सेठ जीवनलाल खेतसी भाई तथा माता का नाम अमृतबाई है। आपका संसारी नाम लवजी भाई था। जाति बीसा श्रामाली। बाल्यकाल से ही आपकी प्रवृत्ति वैराग्यमयी रही । दीक्षा लेने के लिये घरवालों का विरोध होने से आप कई बार घर से भागे अन्ततः १६ वर्ष की आयु में आचार्य सम्राट के पास सं० १६७२ आषाढ़ शुक्ला ५ को सादडी (मारवाड़ ) में दीक्षा अंगीकार की। सं० १९८७ कार्तिक कृष्णा २ को अहमदाबाद में आपको प्रवर्तक पद, सं० १६६० मिंगसर सुदी ८ को भावनगर में गणिपद, सुदी १० को पन्यास पद तथा सं० १६६१ जेठ बदी २ को महुवा में उपाध्यायपद प्रदान किया । गया साथ ही व्याकरण वाचस्पति, कविरत्न तथा शास्त्र विशारद की आपकी साहित्य सेवा जैन जगत को एक अनुपमदेन पदवी से भी विभूषित किये गये। है। निम्न रचनाएं हैं:सं० १६६२ के वैशाख सुदी ४ के दिन अहमदा. (१) ४॥ लाख श्लोक प्रमाण 'धातु रत्नाकर' के बाद में आचार्य पद प्रदान किया गया। अहमदाबाद विशाल ७ खंड। (२) महाकवि धनपाल रचित में हुए तपागच्छीय साधु सम्मेलन में आप 'जैनधर्म 'तिलक मंजरी' ग्रन्थ पर ५० हजार श्लोक प्रमाण पर होने वाले आक्रमणों का प्रतिकार' करने वाली 'पराग' शीर्षक मनोहर वृत्ति (३) कलिकाल सर्वज्ञ कमेटी के विशेष सभ्य बनाये गये। हेमचन्द्राचार्य “रचित सिद्ध हेम शब्दानुशासन" के महान साहित्य सेवा त्रुटक स्थानों का अनुसंधान एवं संशोधन अभूत पूर्व आप एक मधुर व्याख्यानी एवं न्याय, व्याकरण है। (४) तत्वार्थाधिगम् सत्र पर षड दर्शन का प्रकाश एवं जैनागम साहित्य के पारगामी उत्कट विद्वान हैं। डालने वाली 'प्रकाशिका' नामक ४००० श्लोक प्रमाण PRAKRA ANN सारrava/ Ex - मा--- Eોવિજયનેમિસૂર્યધરજી महरा sateghodawatives
SR No.034877
Book TitleJain Shraman Sangh ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain
PublisherJain Sahitya Mandir
Publication Year1959
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size133 MB
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