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________________ जैनरत्न ( उत्तराई) १००००) देसलपुरमें एक स्थानक बनवाया। कच्छमें इतना बड़ा अच्छा स्थानक दूसरा नहीं है। ४००००) अपनी मृत्युके समय दे गये जिनकी व्यवस्था पीछेसे पोफ्टमाईने की। ये उद्योगी और धर्मपरायण मनुष्य थे । इनका देहांत सं० १९७४ में हो गया था। चांपसीसेठके तीसरे पुत्र आनंदनीमाईका जन्म सं० १९२९ में हुआ था । मेट्रिक तक इन्होंने अभ्यास किया । सं० १९५० में इनका देहांत हो गया। पोपटभाई ___ इनका जन्म सं० १९४९ में हुआ था। ये सेठ लालजीमाईके पुत्र हैं । इनका ब्याह सं० १९६१ में श्रीमती मीठांबाईके साथ हुआ था। इनके चार सन्तान हैं । २ लड़के-केशवनी व शामजी । २ लड़कियाँ-रतनबाई और साकरवाई। ये बड़े ही बाहोश भादमी हैं । इनके पिता और काकाने निस कंपनीको आगे बढ़ाया था, उसके व्यापारको इन्होंने और मी अधिक फैलाया। सन-इन्होंने अपने बड़े पुत्र केशवजीके लम धूमधामसे किये । उसमें पन्द्रह हमार रुपये खर्चे । केशरजीका जन्म सं. १९६८ में हुआ था। ये इंग्लिश पांचवीं क्लास तक पढ़े हैं। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
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