SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 870
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्वेतांबर स्थानकवासी जैन लम करनेकी प्रथा डाली । बंबईमें कच्छी वीसा ओसवालोंमें वेलजीमाई और तेजबाईके ही लग्न सबसे पहले हुए थे । (१) रतनबाई-इनके जन वेलजी नेणसीके पुत्र मेघनी वेलनी के साथ हुए थे। दान-साठ हमारके करीब इन्होंने दान किया था। उनमें से ५०००) कच्छी वीसा ओसवाल जैन बोर्डिग माटुंगाको दिये थे। लग्न-छः लग्न अपने लड़के लड़कियोंके किये और उनमें करीब साठ हजार रुपये खर्चे । जायदाद-अपने गाँव बाराईमें जायदाद बनवानेमें पचास हजार रुपये खर्चे । संवत १९७८ के मादवेमें इनका देहान्त हुआ। ३ प्रेमजीसेठ-इनका जन्म सं० १९४२ के भादवा सुदि ८ को हुआ था। इनके पिता देवजीसेठ के देहांत के बाद इन्होंने कारबार सम्भाला । वे ही उत्तमताके साथ कार्य कर रहे हैं और अपने पिताकी सम्पत्तिको बढ़ा रहे हैं। ____इनका पहला ब्याह श्रीमती देवकाबाई के साथ हुआ। इनके एक पुत्र हुआ । उसका नाम नाननीमाई है। नाननीमाई मेट्रिक तक इंग्लिश पढ़े हैं। स्वतंत्र विचारके देशमक्त व्यक्ति हैं। इनका ब्याह श्रीमती मणिराईके साथ हुआ था । सन् १९३० के आन्दोलनमें ये बंबईकी प्रांतिक महासमा वारकाउंसिलके मेम्बर थे। पकड़े गये। छः महीनेकी सजा हुई। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy