SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 863
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ૧ जैनरत्न (उत्तरार्द्ध) ये कच्छ में ले गये । वहाँके अनेक आँखों के रोगी मनुब्यका इलाज कराया और हजारोंका आशीर्वाद लिया । इसमें इनके हजारों रुपये खर्च हुए । उनका रहनसहन सादा और सरल था । उनका स्वभाव निरभिमानी और सत्यप्रिय था । उनका जीवन धर्मपरायण और वैराग्यमय था । व्यवहारकुशल प्रेमभाव दिखानेवाले इतने थे कि, एक बार जो इनके सहवासमें आता था वह हमेशा इनका भादर करता था । सन् १९२९ की १८ वीं मईके दिन ६५ वर्षकी आयुर्मे इनका देहांत होगया । अपने पीछे ये पुत्र और पौत्रोंसे भरा घर छोड़ गये । सेठ वीरचंदभाई - ये स्वर्गीय सेठ मेघजीभाई के पुत्र हैं । इनका जन्म सं० १९९६ के कार्तिक सुदि १९ के दिन हुआ था । इनको साधारण इंग्लिश और गुजरातीका ज्ञान कराकर मेघजी सेठने इन्हें चौदह वर्षकी उम्र में ही धंधे में डाल दिया था । सोलहवें वर्ष में इनका ब्याह सा जेवंत वृजपालकी पुत्री श्रीमती लक्ष्मीबाई के साथ कर दिया । इनके ४ पुत्र हैं । मणिलाल, शांतिलाल, भोगीलाल और सोभागमल । | इनके पिता मेघजीसेठ कुछ सुधारक थे । मरणके बाद रोने पीटने और ज्ञातिभोजन करनेका रिवाज उन्हें बिलकुल पसंद नहीं था । मरते समय वे अपने पुत्रको ताकीद कर गये कि, मेरे I Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy