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________________ mmmmmmovie स्थानकवासी जैनसद्गृहस्थ स्थितिके मेघनीमाई तीस बरस की उम्रमें एक बड़ी युरोपिअन फर्मके भागीदार और लखपति आसामी थे । उनकी होशियारी, उनके साहस, काम करनेके उत्तम ढंग और उनकी प्रामाणिकताने उन्हें इतना ऊँचा उठाया था। ___ उनका ब्याह शा परसोतम ओघवजी मुनवालोंकी पुत्री जीवीबाईके साथ हुआ था। इनसे एक पुत्र और एक कन्या हुए । पुत्रका नाम वीरचंदमाई और कन्याका नाम दीवालीबाई रक्खा गया। जायदाद-इन्होंने अपने निवासस्थान मांडवी (कच्छ) में पचास हजार रुपयेकी जायदाद बनवाई है। लग्नमें इन्होंने अपने पुत्र और पुत्रीके लग्न बड़ी धूमधामसे किये थे । अपने पुत्र वीरचंदमाईके ब्याहमें ४५०००) हजार रुपये और अपनी पुत्री दीवालीबाईके लग्नमें ३५०००) रुपये खर्च किये थे। दान-इन्होंने जो दान किया उनमेंकी बड़ी बड़ी रकमें नीचे लिखी हैं। ३१००००) का एक टूस्टडीड किया है । इसके व्याजमेंसे जुदा जुदा धर्मकार्योमे रकम दी जाती है। १५०००) महीघर स्टेटमें प्रतिवर्ष, शारदादेवीके आगे लगभग सात हजार पशुओंकी बली होती थी। इस घोर Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
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